होली, रंगों का त्योहार, जो पूरे भारत में उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। लेकिन अगर होली की असली मस्ती और आध्यात्मिक अनुभव को महसूस करना है, तो मथुरा, वृंदावन और बरसाना की होली से बेहतर कोई जगह नहीं है। यहां की होली सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि भक्ति, प्रेम और उल्लास का अद्भुत संगम है। आइए, इस लेख में हम मथुरा, वृंदावन और बरसाना की होली की खासियतों को जानें और समझें कि यह त्योहार यहां इतना खास क्यों है।
मथुरा: भगवान कृष्ण की जन्मभूमि

मथुरा, भगवान कृष्ण की जन्मभूमि, होली के त्योहार को एक अलग ही रूप में मनाती है। यहां की होली सिर्फ रंगों का खेल नहीं, बल्कि भगवान कृष्ण और राधा के प्रेम की गाथा है। मथुरा में होली का उत्सव लगभग एक सप्ताह तक चलता है और इसमें भक्ति, संगीत, नृत्य और रंगों की बहार देखने को मिलती है।
मथुरा में होली की शुरुआत होलिका दहन से होती है। होलिका दहन के दिन शाम को लोग एकत्रित होते हैं और होलिका की पूजा करते हैं। इसके बाद अगले दिन से रंगों की होली शुरू होती है। मथुरा की गलियों में गुलाल और अबीर की बौछार होती है और लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर होली की बधाई देते हैं।
वृंदावन: राधा-कृष्ण की लीलाओं की धरती

वृंदावन, जो मथुरा से कुछ ही दूरी पर स्थित है, होली के त्योहार को एक अलग ही रंग में रंग देता है। यहां की होली को “फूलों की होली” के नाम से भी जाना जाता है। वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में होली का उत्सव देखने लायक होता है। यहां होली के दिन मंदिर के पुजारी भगवान कृष्ण को फूलों से सजाते हैं और उन पर फूलों की वर्षा करते हैं। इस दृश्य को देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।
वृंदावन में होली का उत्सव कई दिनों तक चलता है। यहां की होली में भक्ति और उल्लास का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। लोग भजन-कीर्तन करते हुए होली खेलते हैं और भगवान कृष्ण की लीलाओं को याद करते हैं।
बरसाना: लट्ठमार होली की धूम

बरसाना, जो राधा रानी की जन्मभूमि है, होली के त्योहार को एक अनोखे अंदाज में मनाता है। यहां की होली को “लट्ठमार होली” के नाम से जाना जाता है। यह होली का एक ऐसा रूप है जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। बरसाना की लट्ठमार होली में महिलाएं पुरुषों पर लाठियों से प्रहार करती हैं और पुरुष खुद को बचाने की कोशिश करते हैं। यह परंपरा भगवान कृष्ण और राधा की लीलाओं से जुड़ी हुई है।
लट्ठमार होली की शुरुआत बरसाना के राधा रानी मंदिर से होती है। यहां महिलाएं पुरुषों को रंग लगाती हैं और फिर लाठियों से उन पर प्रहार करती हैं। पुरुष खुद को बचाने के लिए ढालों का उपयोग करते हैं। यह दृश्य देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं और इस अनोखी परंपरा का हिस्सा बनते हैं।
होली की तैयारियां

मथुरा, वृंदावन और बरसाना में होली की तैयारियां कई दिन पहले से शुरू हो जाती हैं। लोग अपने घरों को सजाते हैं, मिठाइयां बनाते हैं और होली के लिए विशेष पकवान तैयार करते हैं। होली के दिन लोग सुबह से ही तैयार हो जाते हैं और रंगों के साथ होली खेलने के लिए निकल पड़ते हैं।
होली के दिन यहां के मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। भक्त भगवान कृष्ण और राधा की आराधना करते हैं और उनसे आशीर्वाद मांगते हैं। होली के दिन यहां के मंदिरों में भजन-कीर्तन का कार्यक्रम भी आयोजित किया जाता है, जिसमें लोग शामिल होकर भगवान की भक्ति में लीन हो जाते हैं।
होली का महत्व

मथुरा, वृंदावन और बरसाना की होली का महत्व सिर्फ रंगों के त्योहार तक सीमित नहीं है। यहां की होली भक्ति और प्रेम का प्रतीक है। यह त्योहार हमें भगवान कृष्ण और राधा के प्रेम की याद दिलाता है और हमें उनकी लीलाओं से जोड़ता है।
होली का त्योहार हमें यह भी सिखाता है कि जीवन में रंगों की तरह विविधता होनी चाहिए। यह त्योहार हमें एक-दूसरे के साथ मिलजुल कर रहने और प्रेम और भाईचारे का संदेश देता है। मथुरा, वृंदावन और बरसाना की होली इस संदेश को और भी गहराई से समझाती है।
कैसे पहुंचे मथुरा, वृंदावन और बरसाना

मथुरा, वृंदावन और बरसाना पहुंचने के लिए आप ट्रेन, बस या निजी वाहन का उपयोग कर सकते हैं। मथुरा रेलवे स्टेशन देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। वृंदावन और बरसाना मथुरा से कुछ ही दूरी पर स्थित हैं और यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।
होली के दिनों में यहां काफी भीड़ होती है, इसलिए पहले से ही अपने ठहरने की व्यवस्था कर लेना बेहतर होता है। यहां कई धर्मशालाएं और होटल हैं जहां आप ठहर सकते हैं।
निष्कर्ष
मथुरा, वृंदावन और बरसाना की होली सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि एक अनुभव है। यहां की होली में रंगों की बहार, भक्ति की गहराई और उल्लास की ऊर्जा सभी कुछ एक साथ मिलता है। अगर आप होली के त्योहार को एक अलग ही रूप में मनाना चाहते हैं, तो मथुरा, वृंदावन और बरसाना की होली का हिस्सा जरूर बनें। यहां की होली आपके जीवन में रंग भर देगी और आपको भगवान कृष्ण और राधा के प्रेम से जोड़ देगी।
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